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मुंबई में हुए एक बाद एक तीन धमाकों के दो दिन बाद आखिर में एमएनएस(या हम आतंकवादी प्रमुख भी कह सकते हैं) प्रमुख राज ठाकरे ने अपनी पाकिस्तान सहयोगी बयाँ उगल ही दिया. इस बयाँ के बदले राज ठाकरे को पाकिस्तानी खुफिया किस तरह से उपकृत करती है इस पर नज़र रखनी चाहिए. अभी चाचा बाल ठाकरे चुप हैं.पर एक या दो दिन बाद वो भी सुर में सुर मिलायेंगे.
“जब तक यूपी-बिहार के लोग आते रहेंगे मुंबई में धमाके होते रहेंगे” राज ठाकरे के इस बयाँ ने सिद्ध कर दिया है कि राज ठाकरे जब तक महाराष्ट्र में रहेंगे आतंकियों को पनाह मिलता रहेगा.
मुंबई तस्करी का प्रमुख अड्डा हैं लेकिन इस पर कभी राज कि आवाज नहीं उभरी, देह व्यापर पर चुप्पी नहीं टूटी, तमाम करप्सन को प्रश्रय देने वाले राज के राज में मेहनत-कसों कि सामत है.
देश का बिभाजन कि बात अप्रत्याक्छ्य रूप में करने वाले राज ठाकरे को महाराष्ट्र में रहने का कोई अधिकार नहीं है. मैं सर्वोच्च नयायालय के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह करूँगा कि राज ठाकरे पर एक मुकदमा दायर हो और इसका फैसला हो कि राज ठाकरे को कम से कम १० साल तक बिहार में रहना पड़े. बुध्द कि भूमि गुरु गोबिंद सिंह कि जन्मस्थली में आ कर राज कि आवाज ठीक हो जाएगी और सुबुद्धि प्राप्त हो जाएगी.
मुंबई वासियों को भी एक ISI एजेंट से छुटकारा मिलेगा.निश्चित ही इस तरह के बिघटनकारी लोगो के हटते मुंबई में शांति हो जाएगी.
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