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सीबीआई को मेडल दो

avibyakti
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बाबा राम देव जी के सहयोगी बाल कृष्ण की डिग्री फर्जी है. सीबीआई ने बहुत जल्दी पता लगा लिया. सीबीआई को इतनी जल्दी कामयाबी शायद ही कभी मिली हो.इस कामयाबी के लिए सीबीआई को मेडल देनी चाहिए. बाबा जी जब काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उतेजित हो कर जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे थे और जनता की भाषा में सरकार को चुनोती दे रहे थे, तब तब मेरे कुछ दोस्तों ने कहा था कि इन नेता लोगों से पार पाना संभव नहीं है. देखिएगा? बाबा जल्दी लपेटा जायेंगे.
तमाम राज्यों के अस्पतालों, डाक्टरों से ये रिपोर्ट माँगा गया है कि कितने लोग लौकी का रस और करेला का रस पी कर मृत्यु को प्राप्त हुए है.
आश्चर्य होता है कि अंग्रेजी दवा खा कर भारतियों कि सेहत ख़राब हो रही है. एक समय के बाद दवा भी कम करना बंद कर देता है. दवा रियेक्सन भी करता है. इस तरह हजारों लोगों कि मृत्यु हो जाती है. परन्तु सरकार ने कभी इस पर सोचने का कम नहीं किया. नकली दवा बाजार में भरे पड़े है, इस पर रोक कैसे लगे कभी किसी ने नहीं सोचा. लेकिन लौकी और करेले से मृत्यु कि जाँच चल रही है.
आयुर्वेदिक दवाए भारतियों के साधारण ज्ञान पर बचा हुआ है. आज भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग इन्ही जड़ी बुटिओं के भरोसे जिन्दा है. इतनी महगी चिकित्सा आम लोगों के बस कि नहीं है. सरकार चाहे माने या न माने.
रामदेव जी का योग या जड़ी-बूटी, भारतीय लोक परम्परा और लोक ज्ञान पर आधारित है. बाल कृष्ण को घेरने से शुरु हुआ अभियान भारतीयों को घेरना है. बाबा रामदेव या उनके सहयोगी बाल कृष्ण रामलीला मैदान वाले घटना के पहले ठीक थे. लेकिन सरकार को जब खतरा हो गई तो ये ख़राब हो गए.किसी राज नेता का डिग्री अगर जाली होता तो क्या सीबीआई इसी तरह करती? नहीं इसके पहले कभी ऐसा नहीं हुआ.
पासपोर्ट बनवाना इतना आसान क्यों है?पासपोर्ट विभाग के ऊपर क्या पासपोर्ट बनवाने के पहले जाँच करने कि जिम्मेवारी नहीं है? अगर पासपोर्ट जाली दस्तावेजों के आधार पर भी बन सकता है तब तो कोई भी पासपोर्ट बनवा लेगा?
सीबीआई को ये भी बताना होगा कि उन विभागों पर क्या हो रहा है. जिन्होंने आँख बंद कर पासपोर्ट बनाये साथ ही साथ सीबीआई को जाँच करनी चाहिए कि अब तक जाली दस्तावेज पर कितने पासपोर्ट बनाया गया है.
जब लोगों के मन में भ्रष्टाचार मिटने कि बात आ गई, काले धन देश मैं वापस लाने कि बात आ गई, तब इस को कोई भी सरकार नहीं रोक सकती है.चाहे रामदेव जी नेतृत्व करे या कोई भी. लोकपाल समय कि मांग है न कि अन्ना हजारे की.
दमन का रास्ता बिनाशकारी होता है . भारतीयों के आकांक्षा के अनुरूप बदले की भावना से ऊपर उठ कर सरकार को सोचना चाहिए ताकि भारत का भविष्य उज्वल हो. जिधर देखिये घपला घोटाला का साम्राज्य है. समाचार-पत्र, मिडिया रोज-रोज नए नए सरकारी लूट से जनता को अवगत करा रहे है. ऐसे में सरकार दमन के रस्ते से हट कर लोक-कल्याण की बात सोचे ये देश हित में होगा.

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